Tuesday, June 10, 2008

मुझे प्यार दो या बिसार दो......

मैं भी संवर सकूं , निखर सकूं
मेरे साथ-साथ ही चला करो
मेरा हाथ ही क्यों न थाम लो
मैं सहम चुकी हूँ बहार से
मुझे प्यार दो मुझे प्यार दो
ना ही दूर मुझसे रहा करो
तुम क्यों न मेरा ही साथ दो
मुझे मंजिलों की तलाश है
मुझे मीत अपना ही मान लो
मुझे प्यार दो मुझे प्यार दो
जो मैं चली गई तो फिर न आऊंगी
की मुझे गम भी उनका अज़ीज़ है
मुझे अपने हाथ का सहार दो
मेरी जिंदगी को संवार दो
मुझे थाम लो मुझे रोक लो
मुझे प्यार दो या बिसार दो

1 comment:

RAJ SINH said...

mujhe pyar do ya visar do.....
mujhe pyar do, mujhe pyar do .

bahut hee sundar .

isee geet kee shan me ..........

JO NA PA SAKOGE KAHEEN BHEE TUM,
VAHEE PYAR TUMSE KIYA SANAM,
JO CHALEE GAYEE NA AAOONGEE,
KE BAHAR HOON MAIN, BAHAR DO.

MUJHE PYAR DO, MUJHE PYAR DO.

AAPKA SWAGAT HAI RACHNA DHARMIYON ME !