Tuesday, June 10, 2008

......

बारिश की सिंदूरी शाम ....
शून्य में झांकता सुना मन ...
न दुःख न खुशी ...
एक स्थिर अविराम शाम....
आश्रय तलाशते कुछ लोग ...
खपरैल क घरों में ...
उन्हें शय कहाँ मिलता ...
वो घर वो लोग स्वंयम ....भीग रहे थे अन्दर -बाहर,दोनों ओर से .....
वो देख रहे थे एक दुसरे को ...
नम आंखों से बयां करते व्यथा अपनी
हाथ बढे अपनाने के लिए ॥ तब बारिश स्वयंम थम गई .....
शायद बादल भी बरस रहा था उनके साथ साथ ....
अब उसे किसी हाथ या सहारे की जरुरत नही थी ........

No comments: