कैसे मे आपके लिए अपना प्यार लिखूं ....
जैसे बादल के लिए पर्वत का प्यार लिखू
या ग्रीष्म के लिए सावन का फुहार लिखू .....
या चकवा चकवी का निहार लिखूं
या गुलाबी ठंड में बसंती बयार लिखूं ....
कैसे में आपके लिए अपना प्यार लिखूं ....
या तुमसे ही मेरे उपवन में बहार ही बहार लिखूं...
या तुम्हें अपने सपनों
का कहार लिखूं...
क्या लिखूं कैसे लिखूं .......
या पथरीली राहों में आगे बढ़ता या पीछे हटता अपना प्यार लिखूं
या तुमसे ही मेरे नगमें हज़ार लिखूं.....
हाँ छोटे-छोटे लब्जों में बंद
मेरा असीम प्यार है ........
मेरी सीमित दायरे में बंधी जिंदगी में ..........तुम्हारे लिए............
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