Tuesday, June 10, 2008

मेरा प्यार ....

मेरा मन करना चाहता है हजारों बातें ....
आँखें तलाशती है तुम्हे ,हर पल हर जगह
चाहती है बयां करना तुमसे ,मेरे मन की गहराइयों में छुपे असीम प्यार को
सोचती हूँ वीना के तार जो तुमने छेड़ दिए हैं
कैसे शांत करूं ,कैसे सुनाऊँ
या राग छेड़ दूँ प्यार का
कैसे रोकूँ ह्रदय के स्पंदन को
क्या पता तुम भी मचलते हो या नहीं मेरा सानिध्य पाने को ?
या यूँ ही एक आकर्षण है मेरा प्यार
या बचकानेपन का एक अरमां ही है तुम्हे पाने का
क्या तुम भी डरते हो हमारा प्यार बताने मे जमाने को
चाहे जो भी इसका लक्ष्य या अंजाम
ये मेरा प्यार न कभी हो बदनाम
बस समंदर की तरह सहेजूंगी
नही बयां करुँगी ,,न तुम्हे और न ज़माने को

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