Tuesday, June 10, 2008

जिंदगी जब भी गुनगुनाएगी.....

जिंदगी जब भी गुनगुनाएगी,होठों से सिर्फ़ निकलेगा तुम्हारा नाम ....
पलकों से ढूलक कर आँसूं कभी ,भूलना चाहेंगें तेरा नाम ...
दामन समेट लेंगें उन अश्कों को सोच तेरा पैगाम .....
जिंदगी जब भी .......
भंवरें कभी चूमेंगे जब पंखुडियों को ...
खुशबू उड़ जायेगी सोच कर तेरा नाम ......
जिंदगी जब भी ...
बुलबुलों सी बनेगी मिटेगी एक कहानी इस पानी के अन्दर
फिर देख छवि तुम्हारी ,,भूल जाएगा मेरा नाम ....
जिंदगी जब भी .....
सुलगती आग में जलते सपने ,,निकलना चाहेंगे कभी मेरे लिए ...
सहम जाएगा आँचल मेरा उन्हें समेटने के लिए .....
जिंदगी जब भी .....
कभी मंजिल पर पहुँच भी गई
मंजिल रूठा सा रहेगा सोच कर फिर तेरा नाम
जिंदगी जब भी ........
रास्ते ढूंढेंगे जब कभी
सिंदूरी आभा के पलाश कभी
रूक जायेंगे पाँव वहीं
देख पुराने पदचिन्हों में रंगी सिन्दूरी शाम ......

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