Tuesday, April 14, 2009

गर्मी की दोपहरी थी
पसीने से लथपथ ,बोझिल ...
...कुछ ताजे हवा के झोंकें ने मुझे बाहर निकलने को विवश किया
बाहर जाने पर गावं की पगडंडियों ने जहाँ ले जाना चाहा ,मुझे मै गई ....
देखा तो
खेत खलिहानों में सूखे पैरो के ढेर ,वृक्ष के निचे मवेशियों के झुंड आराम कर रहे थे .....
वही पलाश के फूलों ने दूर-दूर तक जंगल में मखमली लाल आसमा बिछा रखा था ....
एक वही था जो मुस्कुरा रहा था उस भरी गर्मी में ....और
प्रेरित किया मुझे मुस्कुराने के लिए ,घर लौट जाने के लिए और हर मौसम में खिलखिलाने के लिए .......

13 comments:

Anonymous said...

Good Start.

Keep it UP.

Best of Luck.

नवनीत नीरव said...

Achchhi shuruat hai.Likhte rahein

RAJNISH PARIHAR said...

...कुछ ताजे हवा के झोंकें ने मुझे बाहर निकलने को विवश किया
बहुत ही अच्छी... पंक्तियाँ..लगी...आगे भी इंतजार रहेगा...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

बहुत अच्छा चित्र खींचा आपने....इस मनोरम दृश्य पर दिल आ गया....और जैसे मैं भी इसी जगह के आसमान के नीचे आ गया....!!

श्यामल सुमन said...

बहुत खूब। कहते हैं कि -

अनमोल सजावट है ये अनमोल हँसी भी।
बाजार में ऐसा कोई जेवर न मिलेगा।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Anonymous said...

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं

gazalkbahane said...

सुन्दर-भाव-भीनी अभिव्यक्ति पर बधाई
अच्छा लिखा-लिखते रहें
वोट अवश्य डालें और दो में से किसी एक तथाकथित ही सही राष्ट्रीय या यूं कहें बड़ी पार्टियों में से एक के उम्मीदवार को दें,जिससे कम से कम
सांसदो की दलाली तो रूके-छोटे घटको का ब्लैक मेल[शिबू-सारेण जैसे]से तो बचे अपना लोक-तंत्र ?
गज़ल कविता हेतु मेरे ब्लॉगस पर सादर आमंत्रित हैं।
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
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Abhi said...

Swagat Hai,
Kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

Pradeep Kumar said...

bahut achchhe ! aapki prerna ko saadhuvaad

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan....narayan...narayan

महेन्द्र मिश्र said...

आपके नए ब्लॉग की चर्चा मेरे ब्लॉग निरंतर में

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ...........
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

-(बकौल मूल शायर)

MAYUR said...

achhi kavita अच्छा लिखा है आपने, शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।

मयूर दुबे
अपनी अपनी डगर