Tuesday, April 14, 2009

न तू बड़ा न मै ...

एक दुसरे से लड़ लड़ कर ,इंसान इंसान को भूल जाता है ...
हिंदू मुस्लिम से और मुस्लिम इसाई से ,अंदर ही अंदर घृणा करता है ...
एक ने कहा तेरी जात छोटी है ,तू बड़ा नही हो सकता ...
दूजे ने कहा तेरी औकात छोटी है ,तू बड़ा नही हो सकता ॥
इसी जद्दोजहद में एक दुसरे की टांग खिची ...
न बढ़ सके ख़ुद, न बढ़नें दिया किसी को .....
क्योंकि वो जमीं पे थे गड्ढा खोदने में व्यस्त .....
एक दिन जब मौत आई .....तब आत्मा ने कहा ....
न तू बड़ा न मै बड़ा ....
हर किसी को एक गज जमीं ही चाहिए अंत में समाने के लिए ...............

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