Monday, March 30, 2009

बचपन

तितलियाँ पकड़ कर पुस्तक में दबाना .......
मोरे पंख के दुगने होने की उम्मीद से पन्नों में सजाना ....
चिड़ियों के लिए घोसला बनाना .....स्कूल बस्ते में भरे खाना खजाना ....
और उन्मुक्त गलियों में गाना बजाना ...
गुड्डे गुडियों की शादी कराना ...
......बिना कल की चिंता किए सो जाना॥
इंसान बचपन सा जिए अगर पुरी जिंदगी .....तो कितना आसान है ....ये सफर कट जाना......

No comments: