उसमें देखनी चाही अपनी तस्वीर ,
शायद मेरे आंसूं मुझे आइना दिखा सके
मेरे प्रतिबिम्ब की एक झलक ..
मेरे अतीत की, जब मै हंसती थी ,मुस्कुराती थी ..,
खिलखिलाती थी बच्चे की तरह ...
सपने लेकर हाथ में ....हर पल हर समय ...,
आज वही चेहरा मेरे आंसुओं ने दिखाया मुझे ...
मेरा चेहरा ,विश्वास से भरा ,ख़ुशी बांटती हुई ,औरों को आश्वस्त करता हुआ चेहरा ..
आंसू भी अपने दोस्त होते हैं ,हमें आइना दिखाते हैं ,जब हम टूट जातें है,भटक जातें है
इस रफ़्तार से भरी सख्त दुनिया में .... जब सिर्फ जीने लगते है ....जिन्दादिली भूल के .
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