Tuesday, January 25, 2011

खलिहानों में फसल के रखवारी में जागते थे वो रात भर ..
साथ होता था उनके दिन भर की थकान पर ..
खाने को मिलता था रोटी और प्याज के कुछ टुकड़े ..
पर पेट तब भी भरता था और होती थी उनकी आत्मा तर ..
सोने को मिलती थी पुरानी चादर पैरे के साथ ..
पर सोते थे चैन की नींद वो कुछ प्रहर ..
ऐसा संतोष ऐसी तृप्ति और ऐसा हौसला उन्हें भी दो रब ..
जिनके पास सब कुछ के तौर पर सिर्फ , सपने हैं

No comments: