इमली ,अमरुद और बेर
चोरी कर कर के खाना
औरों की बगिया में छुप-छुप के जाना
माली आये तो वो सिटी बजाना
और कहीं लटके पाए गए तो पेड़ पर ही घंटों बिताना
और बेफिक्र पेड़ पर ही सो जाना
नींद खुले तो चुराए अमरुद खाना
और दोस्तों क़ि फुसफुसाहट ,वो फ़साना
थक हार कर वो माली का लौट जाना
याद बड़े आते हैं वो बचपन ,जो बहाना
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