अगर कमीं महसूस करते किसी अपने का ..
तो क्यों होते आँख नम हैं ?
अगर हम खो देते किसी अपने को ..
तो होते क्यों गुम हम हैं ?
क्यों वक़्त लगता है फिर से जीने में ?
क्यों रह रह कर पीड़ा से व्यथीत होते मन् हैं?
मै वो वही हूँ ,उनका ही हिस्सा ,उनकी ही आत्मा ,उनकी ही संतान ..
वो अगर सजीव नहीं तो क्या ?
वो आसपास बसते हैं मेरे ,और न वो हमसे अनजान हैं..
वो बसते हैं मेरे कर्मो में ,मेरे विचार में ..
वो मार्गदर्शन करते हैं ,बन के हमेशा~ आत्मज्ञान~ हैं
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