Tuesday, January 25, 2011

अगर कमीं महसूस करते किसी अपने का ..

तो क्यों होते आँख नम हैं ?

अगर हम खो देते किसी अपने को ..

तो होते क्यों गुम हम हैं ?

क्यों वक़्त लगता है फिर से जीने में ?

क्यों रह रह कर पीड़ा से व्यथीत होते मन् हैं?

मै वो वही हूँ ,उनका ही हिस्सा ,उनकी ही आत्मा ,उनकी ही संतान ..

वो अगर सजीव नहीं तो क्या ?

वो आसपास बसते हैं मेरे ,और न वो हमसे अनजान हैं..

वो बसते हैं मेरे कर्मो में ,मेरे विचार में ..

वो मार्गदर्शन करते हैं ,बन के हमेशा~ आत्मज्ञान~ हैं


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