Tuesday, January 25, 2011

दूर दूर तक हरे हरे घास,खड़े हुए थे ,लहलहाते हुए वो हवाओं के संस्पर्श से ..

पानी की कल- कल बहती आवाज़

पक्षियों के कलरव ,उनके आनाज के दानों की चाह और कोशिश उन्हें पाने की

चलते चलते दूर, एक गाँव से, दुसरे गाँव

और गांववालों की जद्दोजहद अपनी रोज़मर्रा क़ि जरूरतों के लिए

धुप पाने की चाह से ,अधूरे ढके बदन के साथ वो बच्चे

उनके आँखों में वो सपने ,कभी तो इस उन्नत जहाँ में

वो भी कभी खड़े होंगे ,पुरे गर्व और सम्मान के साथ ..

मुझे इतनी हिम्मत और बरकत देना मेरे खुदा

क़ि मै किसी के छोटे -छोटे सपने पुरे कर सकूँ ..

उन्हें सिर्फ विश्वास दे सकूँ ,क़ि जिंदगी सिर्फ पैदा होने और मर जाने का नाम नहीं है

ये तो औरों की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी को लेकर आगे बढ़ने का नाम है ..


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