Tuesday, January 25, 2011

मरने वाले से ये पूछो वो क्या करे ?
ख़ुद को जो न पहचान सके ,वो डरे
रहे अनिश्तित्ता में हमेशा ,जी-जी कर मरे ,
निर्बल जो समझे खुद ही को
वो क्या किसी का बल बने
जिंदगी का रिश्ता तो दर्द और पीड़ा से है मेरे दोस्त
अब क्यों न ये दुःख ही मर्ज़ बने
सोच में न किसी का वश चले
न भय किसी पे निर्भरता का
न जरूरत किसी के अहसानों तले
तो क्यों न
रहें उन्मुक्त विचारों में ही सही
आओ एक पल ही सही ,खुल कर तो जिए

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